जी चाहे मेरा
ऊंचे उडना
जी चाहे
आकाश को छूना
जी चाहे
उनमुक्त विचरना
पर चाहे संसार
काट मेरे पंख
मुझे पिंजरे में रखना…
जी चाहे मैं
पर्वत पर्वत
मस्त पवन सी घूमूं
सागर को मुट्ठी में लूं
और बादल का मुख चूमूं
पर चाहे संसार
बांध मेरे पांव
मुझे बंदी सा रखना…
रख ले चाहे ,
पांव जकड के
रख ले ,
जंजीरों में जड के
मन मेरा आज़ाद परिन्दा
जित चाहे उत जाए…
जी चाहे रेती में लोटे
जी चाहे
लहरों से खेले,
चांद सितारों से भी आगे
दूर क्षितिज छू आए……।
Very good creation.
ReplyDeletethank you....
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