शत नमन युग पुरुष…!
हमारा शत नमन…
जो अलख जगाया
जागरण का……………इसके लिये…
सोयी पडी थी चेतना
हलचल मची,
नन्ही लहर विवेक की
अंतस में थी
गुमसुम पडी
देखते ही देखते
वो भंवर बनी…,
अपना ही घर,
अपना ही सब
हम लूटते आए,
उस लूट को दर्पण दिखा कर
सामने लाया………इसके लिये…
शंख नाद सा धीर और
गंभीर कर गर्जन
हर आदमी की आत्मा
झकझोर दी…
जन जन के ह्र्दय को
शक्ति भर उकसाया…इसके लिये…
चिंतन और सुधार हेतु
मंगल ध्वनि बन
आपकी हुंकार गूंजी,
एक नये आरंभ की
उम्मीद जागी
हौसला उत्थान का
फ़िर से जगाया…इसके लिये…
शत नमन युग पुरुष…!!
हमारा शत नमन
जो अलख जगाया
जागरण का…………इसके लिये…॥
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