खूबसूरत वादियों के
कुछ अलग अँदाज हैं
मन को बाँधने वाले द्र्श्य
कितने लाजबाब हैं......!
कितने लाजबाब हैं......!
ये झरनों की कल-कल
और उडती जल राशि
हँसती प्रकृति के
कुछ खास ही राज़ हैं.....!
अद्भुत नजारों पे
नजरें टिकी हैं......
नजरें टिकी हैं......
कुछ कहने की,सुनने की
फुर्सत नहीं है........!
पाँवों के नीचे है
शीतल जल धारा
और सबसे बढकर
ये साथ तुम्हारा.....! इन्हीं वादियों में
खोए रहेंगे....
जागती आँखों से
सोए रहेंगे......!
झरने तो शाश्वत हैं
झरते रहेंगे.....
कल-कल निनाद
करते रहेंगे.....!
हम पूछ्ते हैं.
हमें तुम बताओ
कि हम-तुम वहाँ पर
फिर कब चलेंगे....??
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