Monday 1 August 2011

फर्क क्यों है


रामकली की बेटी मुनिया
और ठाकुर की बेटी चुन्नी
दोनों एक ही उम्र की हैं
एक सा कद ,एक सी शक्ल
एक सी निश्छल हँसी
दोनों एक सी चंचल........
शाम को साथ साथ खेलकर
बाग से लौटी हैं.....
चुन्नी अपनी कॉपी में
गुडिया बनाने बैठी है..
रंग बिरंगी
पेंसिंल और रबर लेकर....
मुनिया सीधी माँ के पास गयी
यह खबर लेकर..............
रोटी बनाती हुई माँ ने
थोडा सा सूखा आटा देकर कहा
ले बना तो देखूँ ..
कैसी गुडिया बनाती है..?
इतना बडा आँगन पडा है
तू कॉपी की जिद मचाती है..??
मुनिया आँगन के कोने में
खुशी खुशी गुडिया बना रही है....
बाल सुलभ नजरों से निहारकर
इतरा रही है...........................
                         
कँगन बाली चोटी पायल
सब तो बना डाला...
छोटे छोटे मोतियों की माला भी
पहना डाला..........
एक परी सी गुडिया
चुन्नी ने बनायी है
एक प्यारी सी गुडिया
मुन्नी ने भी बनायी है..
दोनों एक सी हैं
न बोलती हैं .न चलती हैं
न छम छम नाच ही सकती हैं....
घाघरे दोनों के एक-से
चुनरी दोनों की एक सी..
चोटी और बिंदिया ,
पायल और कँगना दोनों के एक से..
जब कोई फर्क नहीं
मुनिया और चुन्नी की गुडिया में..
तो फर्क क्यों है..
                           ठाकुर की बेटी और मुनिया में......

                               

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