कोई अपना..
मन के इतने करीब हो.
कि सोते जागते,
ख्यालों में बसा रहे...
एक पल को भी जुदा न हो सके...
जिधर भी निगाहें उठें,
जब भी नजरें झुकें...
होंठ खामोश हों चाहे ,
मनमरजी बतियाता रहे दिल..!!
साँसों के आस पास ,
साँसों का आभास होता रहे..!
धडकन के आस पास ,
धडकते हृदय का..!.
रग रग नरम उंगलियों की छुवन
महसूसता रहे......
और नशा अनदेखे अनजाने
जुडाव का,
आनन्द देता रहे...
वक्त चाहे कोई भी हो
मौसम चाहे कोई भी..
भीड में हों हम या कि अकेले
खोये खोये रहें...
प्रीत की मीठी मीठी पीडा
टीसती रहे..........
और डुबकियाँ लगाता रहे दिल
आनन्द के समंदर में,
अनंत है विस्तार जिसका
न ओर न छोर......
फिर किसे मतलब कि ,.
क्या पाया क्या खोया..
क्या दुर्लभ क्या हासिल....
दिल इतना ही जानता समझता है कि,.
आसमान जितना भी
ऊँचा हो ,चाहे...
दुनिया कितनी ही बडी......
सब कुछ छोटा है
अपने मन की उडान के आगे......!!.
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