Tuesday 10 June 2014

कोई है

कोई है जो लौटा ले जाता है
हरदम बीते दिनों की
खुशनुमा यादों में
यादें जिनमें
फूलों की छांव भी हैं
दूब की नरमाई भी
कल्पना की ऊंची उडान भी है
झील सी गहराई भी
हाथ थाम कर गुजारे हुए
रास्तों की सोंधी धूल
भी है
कंकरीले राह की चुभन भी
कोई है जो
बार बार खटका देता है
मन के द्वार
होने नहीं देता
पल भर को उदास
कोई है जो रहता है
ख्वाबों में खयालों में
छाया बनकर इस दिल के
हरपल आस पास
कोई है कि जिसकी नजरों
में हूं मैं जुदा सबसे
कोई है जिसे मैंने
पाया है जन्मों के इंतजार के बाद…………



रूठना मनाना

गलती तुम्हारी थी
मैं रूठ गयी
तुमने मनाया भी नहीं
रूठी रूठी मैं अनबोली
इन्तजार करती रही
तुम्हारे मनाने का
तुम्हारे संसार को
सजाती रही सपनों से
हमेशा की तरह

मुझे लगता रहा
यूं रूठकर मैं जीत गई
तुम्हें लगा
तुम जीते मुझे मनाकर
हर बार की तरह

जानते हो क्या होता है ऐसे
हमारे तुम्हारे अहं का धुंधलका
हमारे कई कई दिनों के
खुशनुमा पलों को रौशनी से
नाबाद रखता है
खूबसूरत पल
आते और झरोखे से झांककर
लौट जाते हैं
मैंने देखा है उन्हें
यूं लौटते द्वार से
कब निकलेंगे हम
अपने अहं के अन्धकार से……


पथ पर

पथों के जाल से बिछे
सडकें गलियां पगडण्डियां
कौन सी राह कहां तक लेके जायेगी
कोई नहीं जानता
मंजिल के कितने करीब
या कि मंजिल तलक…
या फ़िर छोड देगी बीच राह में ही
ऊंचे नीचे ऊबड खाबड
पथरीले सुगम रास्ते
कभी ठंढी सुहानी हवा
कभी लरजते बरसते मेघ भी
चलता जाता है पथिक
चलती रहती जिन्दगी
जाती है मदद को
कभी अपनी अच्छाईयां
कभी जाने अनजाने की गई कोई नेकी
कभी कोई अच्छी भली भावना ही

हाथ थाम कर ले चलती है
निकाल देती है दुर्गम कंटीली राहों से

और कभी चुपके से उपजी हुई
कोई बुरी भावना
चुभ जाती है तीखी कंकरी बनकर

अपनी ही बोई हुई होती है
झाडियां झंख़ाडियां
राह की नरम दूब भी
अपनी ही अरजी हुई होती है
शीतल छांह भी

तपती धूप भी…॥

ऐ मन मेरे

ऐ मन मेरे
ले चल मुझको
यादों की छाया में
झिलमिल झिलमिल स्नेहिल यादें
यादों की छाया में

बीते कल के
पलट के पन्ने
देख रही हूं बीते लम्हे
छोटे छोटे उन लम्हों की
मन को छूने वाली बातें

बोझिल मन को थपकी देकर
हल्की करने वाली बातें
ऐ मन ले चल
मीठी मीठी बातों की छाया में

कोई अपना
नजर चुराके
देख रहा था चुपके चुपके
कोई अपना पलक झुकाके
बोल रहा था
कुछ रुक रुक के
अटक गया मन उन नजरों में
भटक गया मन उन पलकों में
ऐ मन ले चल
पलकों की उन
ठढी शीतल छाया में
ऐ मन मेरे
ले चल मुझको
यादों की छाया में……………॥