Monday 1 August 2011

पूनम की रात में


इतनी शीतल..
इतनी कोमल..
पूनम की रात में
उपवन में जाना नहीं
शोर मचाना नहीं......
    अलसाये फूल
    कलियाँ सोई हैं
    सुख भरे सपनों में खोई हैं...
चाँदनी झर रही...
तृण तृण में अमृत कण भर रही...
    घूँट घूँट सोमरस...
    पँखुडियों को पीने दो.,
    रजनी के ढलने तक....!!
    सोने दो चाँदनी की गोद में
    उषा के धरती पर उतरने तक....!!.
लंबे इंतजार पर आता है चाँद यह
अरमानों की एक रात
लाता है चाँद यह....
   नासमझी में बगिया को
   नींद से जगाना नहीं..
   शोर मचाना नहीं......
   पूनम की रात में
   उपवन में जाना नहीं........!!
                                 

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