खोए खोए थे
जहाँ की भीड में
एक तन्मय भावना में घिर गए.....
कुछ जमा थे
पुण्य पिछ्ले जन्म के
राह में तारों सरीखे बिछ गए...
चल दिए हम
थाम के उस डोर को
दूर तक थी
रौशनी से जो घिरी...
यह अनोखी राह थी,
अनजान सी
जो लबालब जिन्दगी से थी भरी...
फूल से बिछ गए
ह्जारो राह में
देर तक हम यूँ
ठगे से रह गए...
कब कहाँ कोई मिले
नहीं जानते
तुम अचानक ख्वाब जैसे मिल गए....!!!
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