झुटपुटी साँझ को
करीब से देखा
तो ये जाना.......
कि इतनी खूबसूरत भी साँझ होती है......
किसी के साथ को
इतनी शिद्दत से
ज़ॉ चाहा हमने
तो ये जाना......
धड़कन भी कभी
इतनी अधीर होती है.....!!
हवा में थी अजब
कंपन हमारे तन जैसी....
अँधेरा भर रहा था
अद्भुत सिहरन मन में.....
कैसे बताउँ इंतजार की उन घड़ियों को
कितना बेकरार होकर के
गुजारा हमने......
अब वही सब जो उस घड़ी
होकर गुजरा.......
यादों में रह रह के गुदगुदाता है...
वो तेरा आना
पूर्वा के मधुर झोंके सा
लपककर समा जाना मेरा,
तेरी बाँहों में.........
वो छुवन तेरी नरम
उंगलियों की......
वो तेरा चेहरा इतने करीब
चेहरे के....
वो तपन तेरी गरम साँसों की....
बेताब धड़कते
दिल की आहट ....
वो तेरे काँधे का सहारा लेकर
मेरा ढलना......
रह रह के निगाहों का
मिलना,झुकना.......
तेरे होठों की निशानी ,
मेरे इन गालों पर
आइना देखूँ तो दिखाई देते हैं
हर बार मुझे..........
वो तेरी धीमी मगर
बहकी बहकी बातें........
जेहन में बसी हैं नशा बन करके....
कैसे उतरे ये खुमारी भला ये तो कहो........!
कैसे उतरे ये नशा बोलो तो...!!
याद है..
तेरा आना,तेरा छाना
होशो हवाश पर मेरे.....
कैसे भूलें वो घडी बोलो तो...!!
कि जो महक समाई बदन में मेरे...
घुल रही है रग रग में अब तलक साथी......
तुम जो ऐसे मेरा मन छू के गए
कैसे रह पाएँगे तन्हा बोलो तो.....!
!
तुम फिर से मिलोगे मुझको है यकीं
अभी दिल को बहलाउँ कैसे
जो पाना चाहूँ तुमको
अभी के अभी.......
तो करीब तुमको अभी पाउँ कैसे
वो घडी जो गुजर के गई जादू सी
फिर से उन्हें पास बुलाऊँ कैसे...
घुल गई साँसें जबकि साँसों में.
यादों से उन लम्हों को
भुलाऊँ कैसे....
वो सब कुछ ..
जो दिल ले के गया......
फिर से पाऊँ कैसे...
बोलो तो.....।
ऐसे मीठे ऐसे कोमल
पल आएँ तो......
ऐ खुदा उनको ठहर जाने को कहो...
मनमीत कोई अपना कहीं मिल जाए तो
ऐ खुदा उसको
कहीं मत जाने को कहो....
ये जीवन ये प्राण मेरे प्रभु....
तुमने बख्शा है मुझे
किसी नेमत की तरह...
खुशी मिलती हो जिन खयालों से
मन के पन्नों में संवर जाने को कहो...!!
मन के पन्नों में संवर जाने को कहो...!1
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