Friday 26 August 2011

सच्ची कहानी



यूं ही मचलकर बोली
एक रोज बिटिया रानी
मुझको सुनाओ मम्मी
एक छोटी सी कहानी
ऐसी कहानी जिसमें
न राजा हो न रानी
हर बात हो हकीकत
हो सच्ची ही कहानी

मैं हंस पडी अचानक
ऐ मेरी गुडिया रानी
तुमको सुनाऊं ऐसी
भला कौन सी कहानी
दुनिया में ऐसा क्या है
जो तुमको मैं सुनाऊं
मिथ्या ये जिन्दगी है
दुनिया है आनी जानी
ये फ़ूल ये घटाएं
ये व्रक्ष ये लताएं
ये पर्वतों की माला
झरनों का मीठा पानी
माता पिता सखाएं
क्या क्या तुम्हें बताएं
जो आज हैं हकीकत
कल बन जाएंगे कहानी

एकमात्र सत्य है जो
जीवन का अंत है वो
इसके सिवा जगत की
हर बात है बेमानी
इतना ही कह रही हूं
ऐ मेरी बिटिया रानी
ये वक्त जो सुनाए
वही सच्ची है कहानी…

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