पथ धर्म का चुनो
सत्कर्म का चुनो
हर राह में रहबर
तुम्हें मिल जाएंगे…
चींटी ही क्यों न हो
मकडी ही क्यों न हो
पत्थर के गुरुवर
कहीं मिल जाएंगे…
बस आस कम न हो
कभी विश्वास कम न हो
हर मोड पर सहचर
तुम्हें मिल जाएंगे…
वो सत्य का रथी
वो प्रेम का सखा
वो स्नेह का ही रूप है
तू जान ले……
आत्मा है तू
परमात्मा है वो
कण कण में वो विराजता
पहचान ले……
कभी दिग्भ्रमित हुए
भूले कभी डगर
अंत: करण की प्रेरणा
भी पाओगे…
उलझनें मिलें
या अंधकार हो
कोई नक्षत्र राह
दिखा जाएगा…
पथ धर्म का चुनो
सत्कर्म का चुनो
कई रहनुमा अक्सर
तुम्हें मिल जाएंगे…
हर मोड पर सहचर
तुम्हें मिल जाएंगे…
कई रूप में गुरुवर
तुम्हें मिल जाएंगे…॥
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