Wednesday 24 August 2011

रहबर


पथ धर्म का चुनो
सत्कर्म का चुनो
हर राह में रहबर
तुम्हें मिल जाएंगे
चींटी ही क्यों हो
मकडी ही क्यों हो
पत्थर के गुरुवर
कहीं मिल जाएंगे
बस आस कम हो
कभी विश्वास कम हो
हर मोड पर सहचर
तुम्हें मिल जाएंगे
वो सत्य का रथी
वो प्रेम का सखा
वो स्नेह का ही रूप है
तू जान ले……
आत्मा है तू
परमात्मा है वो
कण कण में वो विराजता
पहचान ले……
कभी दिग्भ्रमित हुए
भूले कभी डगर
अंत: करण की प्रेरणा
भी पाओगे
उलझनें मिलें
या अंधकार हो
कोई नक्षत्र राह
दिखा जाएगा
पथ धर्म का चुनो
सत्कर्म का चुनो
कई रहनुमा अक्सर
तुम्हें मिल जाएंगे
हर मोड पर सहचर
तुम्हें मिल जाएंगे
कई रूप में गुरुवर
तुम्हें मिल जाएंगे

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