बूंदों के अक्षर हवाओं के
पन्ने
लिखती दिशाएं नित कुछ नया....
हवा जब चली लेके मीठी महक
कलियों ने छेड़े तराने नए.......
किरणों ने रंगत भरी जब फिजा
में
भवरों ने गाए फसाने नए......
बूंदों के अक्षर घटाओं के पन्ने
रचता है मौसम नित कुछ नया...
खिला जब गगन में पूनम का
चन्दा
तट पर मचल कर चली आईं
लहरें...
गगन ने भी हंसकर सितारे लुटाए
समंदर ने छेड़े सरगम नए....
बूंदों के अक्षर लहरों के
पन्ने
लिखता समंदर नित कुछ नया.....
हर पल नया रंग लेकरके आता
जग को बनाता है हर पल नया...
किरणें नई, हर सबेरा नया
जित देखो उत सब नया ही नया..
सांसों के अक्षर धड़कन के
पन्ने
लिखता है जीवन नित कुछ नया...