Thursday 20 September 2012

बूंदों के अक्षर




बूंदों के अक्षर हवाओं के पन्ने
लिखती दिशाएं नित कुछ नया....

हवा जब चली लेके मीठी महक
कलियों ने छेड़े तराने नए.......

किरणों ने रंगत भरी जब फिजा में
भवरों ने गाए फसाने नए......

बूंदों के अक्षर घटाओं के पन्ने
रचता है मौसम नित कुछ नया...

खिला जब गगन में पूनम का चन्दा
तट पर मचल कर चली आईं लहरें...

गगन ने भी  हंसकर सितारे लुटाए
समंदर ने छेड़े सरगम नए....

बूंदों के अक्षर लहरों के पन्ने
लिखता समंदर नित कुछ नया.....

हर पल नया रंग लेकरके आता
जग को बनाता है हर पल नया...

किरणें नई, हर सबेरा नया
जित देखो उत सब नया ही नया..

सांसों के अक्षर धड़कन के पन्ने
लिखता है जीवन नित कुछ नया...


















Monday 3 September 2012

चांद आसमान में



चांद आसमान में
रहेगा रात भर...
सितारों संग खेलता
रहेगा रात भर....

घटाएं भी मचल रहीं
उसी को देखकर
उन्हीं के रूप पर फिदा
रहेगा रात भर.....

धरा को देगा चांदनी
गगन को रौशनी
कली कली को चूमता
रहेगा रात भर...

झील में जो बिम्ब है
वह उसी का  है
मगर उसे निहारता
रहेगा रात भर...

वो रूप का ,वो नूर का
बहुत अमीर है
गली गली बिखेरता
रहेगा रात भर ॥

चांद आसमान में
रहेगा रात भर....
सितारों संग खेलता
रहेगा रात भर..........









बचपन की अमीरी




बूंदें वही हैं
बारिश वही है
भीगी हवा मे
मस्ती वही है..
सपनों की अद्भुत
कशिश लेके तिरती
पानी में कागज की
कश्ती भी वही है..

जो सब कुछ वही है
तो फिर खो गयी क्यों 
बचपन की 
अल्हड़
नजाकत , अमीरी...
.
चाहे हों हासिल
महलें दुमहले
सपनों की अपनी अलग
अहमियत है...
हंसने किलकने की
जी भर फुदकने की
ताउम्र कोशिश
क्यों ना करें हम..

रहे याद हरदम
हैं जब तक ये सांसें
सलामत रहें वो
नजाकत , अमीरी...