Saturday, 24 December 2011

कौन हूँ मैं


मैं जाता हुआ लम्हा नहीं
कि चाहूँ तो भी
तनिक ठहर न सकूं...
मैं बीत गया वक्त भी नहीं
कि लौट के कभी आ न सकूं..
   
मैं ओस की नन्हीं सी
वह बूंद  नहीं
जरा सी हवा लगते ही
जो उड़ जाऊँ
मैं वो नन्हा सा दीया भी नहीं
कि जमाने की आंधियों
से झट बुझ जाऊँ
    
मैं हवा हूँ कि
वो जो जब चलती है
हरेक बाग से होकर के
ही गुजरती है
छूती है हरेक डाल को
हर पत्ते को..
खुद भी खुशबू से भरी होती है
कभी बादल में छिपी बूंदों को
तो कभी बिजली की चमक
ले लेती है
कभी तूफां तो कभी शीतलहर,
कभी लू बनके
फिरा करती है
हर भावना जो मन में
जनम लेती है
हर कशिश ,जो दिल में
पनाह लेती है....
हर चाह जो पूरी हो
या अधूरी रहे
हर कामना जो
जन्नत का ख्वाब रखती है

मैं हूँ वही एक छांव
हरेक राही को ,
कड़ी धूप से जाते हुए
जो दुलारना चाहे
हरेक उस क्षण में जब
कोई मायूस रहे
छू के कंधों को सहारा
देना चाहे...
        

छलक जाए किसी की
आंखें भी अगर
अपने आंचल से सदा पोंछना चाहे
तन्हाईयों में कोई जब  
याद करे..
उड़के आ जाए तनिक भी
नहीं जो देर करे..
       
जिस नाम से चाहो
पुकार लो मुझे
माँ हूँ कि बहन हूँ
कि बेटी हूँ दुलारी.
हर ठौर हर समय रहूँगी पास तेरे
पहचान लो मैं हूँ
सखी तुम्हारी....


   

2 comments:

  1. Atyant Sundar aur
    Bhavnaon ka Adbhut Vistaar....
    मैं हूँ वही एक छांव
    हरेक राही को ,
    कड़ी धूप से जाते हुए
    जो दुलारना चाहे

    Saadhuvaad!

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