Sunday 11 December 2011

तब आना मुझसे मिलने


है धुंध अभी कुछ बाकी
नहीं छंटा अंधेरा नभ का
जब पूर्ण उजाला हो ले
तब आना मुझसे मिलने

हर रैन दिवस का मिलना
है उत्सव धरा गगन का
किरण किरण सज-धज कर
जब द्वार क्षितिज का खोले
तब आना मुझसे मिलने

हैं विरह मिलन के किस्से
धरती के चप्पे चप्पे
कोई किन नयनों से देखे
कोई किन शब्दों में बोले

इन लहरों की तडपन में
है कितनी कितनी तृष्णा
यह राज समंदर खोले
तब आना मुझसे मिलने

जब जन्मों की भटकन का
तुम सही आकलन कर लो
जब सदियों की चाहत से
इस रिक्त ह्र्दय को भर लो

है धुंध अभी कुछ बाकी
नहीं छंटा अंधेरा मन का
जब माया वरण हटा ले
तब आना मुझसे मिलने

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