Thursday 22 December 2011

आने दो


कुहरे घनेरे
घेरे ह्र्दय को
खोल दो खिडकियां
आने दो ,थोडी सी धूप आने दो…

दिल डूबा डूबा
भींगी भींगी पलकें
छेड दो ,रागिनियां
पाने दो ,थोडा सा सुख पाने दो…

स्वपनों की भाषा
आंखों से बेहतर कौन जाने …?
हाल ह्र्दय का
तुम से भी बढकर कौन जाने…?

चाहे बताऊं ,चाहे छुपाऊं
जान ही लोगे, जानती हूं
मिलते ही आंखे कर लेंगी बातें
सारी की सारी, जानती हूं

मन है अकेला
बेहद अकेला ,
आने दो,पास आने दो
थोडा पास आने दो…
आने दो ना…!!

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