हे देव !
जगत के मेले में !
चित्त चंचल
मन धर्म अधर्म के
नित दिन नये
झमेले में………
हे देव ! जगत के मेले में !
एक भाव
विस्तार निरन्तर
लगन लगे
नटवर गिरधर से
क्षण भर कभी
अकेले में………
हे देव ! जगत के मेले में !!
13/02/2000
No comments:
Post a Comment