सांझ द्वार पर आए तो
और झांझर झनकाए तो
अंधियारा हौले हौले
जब अपने कदम बढाए तो
मन्…! किसकी राह तके
सच बोलना……………
भोर विहंसकर आए तो
कोयलिया जब गाए तो
आसमान की खिडकी से
हंसकर धूप जगाए तो
मन्…! किसको याद करे
सच बोलना……………
जब झूम के बरखा आती है
और कली कली मुस्काती है
हर गली डगर सब धुल जाते
रिमझिम बूंदें कुछ गाती हैं
मन कहता है कोई आएगा
अनगिन सौगातें लाएगा
बस एक झलक पाकरके ही
ह्रदय पुष्प खिल जाएगा
इस इन्तजार के क्या कहने
हर पल लगता,लो वह आया
धडकन का खूब मचलना भी
नजरों का राह भटकना भी
सब कुछ लगता है नया नया
अब ऐसे में कोई क्या बोले
दिल बेमतलब घबराए तो
पलकें झुकती ही जाएं तो
मन ! किसको याद करे
सच बोलना…………
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