Thursday 29 September 2011

हरित बांस की बांसुरिया


    हरित बांस की
   बांसुरिया
   कितना मीठा तुम गाती हो
   कहां से लाती
   सुर सरगम
   और तान कहां से लाती हो !
   कौन जनम के पुण्य
   तुम्हारे
   कृष्ण सखी कहलाती हो
   भोली हमारी
   राधा रानी
   काहे उन्हें सताती हो !
   सांझ सकारे
   मधुर मधुर धुन
   दसों दिशा बिखराती हो…
   जिनके मन
   संगीत बसे, उन
   अधरों पर मुस्काती हो !
   जिन चरणों का
   जग दीवाना
   उन्हीं से प्रीत निभाती हो
   कृष्ण रूप की
   छटा निराली
   तुम कुछ अधिक बढाती हो !
   हरित बांस की
   बांसुरिया
   कितना मीठा तुम गाती हो… !!               

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