मेरी छांव छांव चलना साथी
जब धूप गमों की
हो तीखी
हो तीखी
कांटों सी यादें चुभती हों
नयनों में छलके हों मोती
या व्यथा सहन से
ज्यादा हो
ज्यादा हो
और मन पर कोई बोझ सा हो
तब याद मुझे करना साथी
मैं छांव करूंगी
पलकों की
पलकों की
आंसू ले लूंगी आंखों में
मुस्कान लबों पे जड दूंगी
उल्टे फ़ंदों से
बाहर आ,
बाहर आ,
शुरुआत नई हम कर लेंगे
यहां सब कुछ कितना सुंदर है
फ़िर मिल जुल कर
हम रह लेंगे
हम रह लेंगे
वो सारे जतन करूंगी मैं
जो अब तक मैंने है सीखी
जो अब तक मैंने है सीखी
मेरी बांह थाम लेना साथी
कि राह सहज हो
जीवन की
और साथ साथ चलना साथी
जीवन की
और साथ साथ चलना साथी
कि धूप लगे हरदम मीठी………
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