जब मिलते हो
यह सवाल होठों पर
आखिर रहता क्यों…
क्यों रहता मन बेकरार
यह दिल इतना
दीवाना क्यों……
क्यों रहती फ़ूलों में खुशबू
सब कुछ लगता
प्यारा क्यों…
तुम ही कहो न
हम ही अपने
मन का राज बताएं क्यों…
तुम कहते हो
मिलना अपना
ज्यों एक पल का पलक झपकना
मैं कहती गर ऐसा है तो
पलक ही हम झपकाएं क्यों………॥
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