Saturday 1 October 2011

ये झूले

   मेले की चहल-पहल 
   और तरह –तरह के झूले…
   बच्चों के इन
   छोटे-छोटे झूलों में
   बडे बडे संदेश…………
                                 
      यह गोल चकरी वाला झूला 
   छोटी-छोटी गाडियों वाला
   एक खंभे पर टिका
   एक गोल चकरी पर कसा
   कई बच्चे झूल सकते एक साथ
   सभी हैंडल पकड कर 
   बैठे हैं …
   समझते हैं, उनके चलाने से ही 
   चल रही गाडी
   झूल रहा झूला
   पर झुलाने वाला तो कोई और है ………

   यह हाथी-घोडों वाला झूला
   एक ऊँचे खंभे पर
   गोल छतरी है ऊपर
   और सभी हाथी घोडे शेर चीते
   बंधे हैं नीचे
   बच्चे बैठते हैं उनपर
   जिद्द करते हैं
   किसी को घोडा चाहिए
   तो किसी को हाथी
                 
   कोई पूछे इन मासूमों से 
   क्यों भला.... ?
   न तो घोडा सरपट भागेगा
   न हाथी मस्त चाल चलेगा
                 
   झूला जब झूलेगा
   गति सब की बराबर होगी
   एक साथ चलेंगे सभी
   रुकेंगे एक साथ ही
   क्योंकि झुलाने वाला कोई और है………

   हम सब भी बैठे हैं
   अलग अलग झूलों पर
   ठीक ऐसे ही
   भरते हैं मस्ती की पेंग
   संग परिजन करते हैं झूलने में मदद
   एक ही आधार से बंधे
   एक ही छतरी के नीचे
   किसान है कोई
   मजदूर है कोई
   अधिकारी है कोई
   और मातहत कोई
   दाता हो या याचक
   गति सब की है एक ही
   गंतव्य भी एक ही
   दूरियां सब को बराबर तय करनी
   मकसद सबका चलना
   और चलते चलते समाहित हो जाना
   अथाह में एक दिन……
   हम लाख हाथ पांव मार लें
   झूल पाएंगे नहीं अपनी मरजी से
   क्योंकि झुलाने वाला कोई और है…………
             

2 comments:

  1. Jab bhi padho, excellent lagta hai.

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  2. sach to yahi hai na...jhulane wala koyi aur hai...thanks jyoti ji.

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