कितनी सुंदर बात कही,चल....
इस मनभावन मौसम में
रिमझिम मस्त फुहारों संग
हम झील किनारे बैठेंगे...
मंद पवन के झोंके हैं
और पेडों के तन धुले धुले.
भींगी भींगी नरम घास पर
बिन छतरी के बैठेंगे....
बस हम तुम दोनों साथ
थामकर एक दूजे का हाथ
करेंगे आँखों में ही बात
नशे में खोए खोए बैठेंगे....
कुछ नशा तुम्हारे साथ का
कुछ नशा हाथ में हाथ का
कुछ रिमझिमी बरसात का
मन कैसे नहीं बहकता है
, सो देखेंगे............
पानी में लगते आग सुना है हमने
कैसे पानी में पानी बरसता है
सो देखेंगे.........!!
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