मेरी खिड़की के पार
एक छोटा सा बाग
आती खुशबू सुहानी
रहता मनहर नजारा…
झरोखे से सटकर
खिला है जो फ़ूल
वो तुम-सा है सुन्दर
वो तुम-सा ही प्यारा…
मुझे देखकर
झूमता,मुस्कुराता
हौले से हंसकर
करता इशारा……
हाथों में लूं तो
वो चेहरा तुम्हारा
बांहों में लूं तो
आलिंगन तुम्हारा…
होठों से छू लूं तो
चुंबन तुम्हारा,
ये तुम हो कि खिडकी में
गुलशन है सारा………
कहे फ़ूल मुझसे कि
आंखें न खोलो,
कहीं टूट जाए न
सपना तुम्हारा………
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