Tuesday 21 February 2012

दस्तक


यूं तो मेरी सुनने की शक्ति
जरा कम ही है
धीरे से कही बात ठीक से
सुन समझ नहीं पाती
पर हर घडी हलकी सी
आवाज
जैसे दे रहा हो
दस्तक 
कोई दरवाजे पर
सुनाई पडने लगी है

स्पष्ट सुनती हूं
हल्के हाथों की थाप
जैसे कहा था मैंने कभी
कि तुम जब आना
तो डोर बेल बजाना
सांकलें ही खटकाना
बस धीमे से देना दस्तक
मैं जान जाऊंगी
पहचान जाऊंगी

कहने और करने में कितना फर्क होता है
अब वही दस्तक जब सुनती हूं
चौंक सी जाती हूं
चाहे कुछ भी करती रहूं
दौड कर जाती हूं
मैजिक आई से झांककर देखने की
मुझे आदत ही नहीं
सीधे दरवाजा खोलकर निहारती हूं
और किसी को न पाकर
निराश लौट आती हूं
 
सोचती हूं क्या है इन
दस्तकों के मायने…?
कौन है,जो हवा की तरह पारदर्शी
इन स्थूल आंखों से दिखता नहीं
सूने में एक बार टटोल कर
देखने की कोशिश भी की
पर हाड मांस से बनी
इन हथेलियों को कैसे पता चले भला ?
 
ध्यान लगाकर देखना चाहा
पर इतना निर्मल मन भी तो नहीं
कि आरपार देख सके
किसी सूक्ष्मातिसूक्ष्म कण को
 
नींद में होती हूं
अचानक दस्तक सुनाई पड जाती है
आंखें खुल जाती हैं
नींद पूरी तरह टूट जाती है
और फिर यही ख्याल दिलो दिमाग पर
हावी रहता है
कौन है वहां ?
क्या चाहिये उसे ?
क्या कहना चाहता है वह ?
 
मेरी कोई अधूरी इच्छा
जो जन्मों से पूर्ण होने की
प्रतीक्षा में है…?
या अवचेतन में बसा कोई स्नेही
जो बस मन से पुकारता हो
जुबान से आवाज न देकर
जिसकी पुकार दिग दिगंतों को भेद कर
चली आती है मेरे द्वार तक
मेरे कानों तक
खटका देती है मेरे दिल की कुंडियां
और विकल हो उठता है मन एकबारगी… 
 
हो सकता है मेरा कोई अधूरा वादा
जो मैंने किसी से किया हो
और अब
जाने अनजाने बिसार बैठी हूं
सब कुछ
याद दिलाने आता हो
मन के सात परतों को भेदकर
दिल में हलचल मचाने...
  
जो भी हो
कोई भी हो वह
मैं समझ नहीं पाती
जान तो जाती हूं पहचान नहीं पाती
  
किससे कहूं
कौन मेरी मदद करे ?
जो मैंने कभी दिल न दुखाया हो किसी का
जान बूझकर अहित न किया हो
किसी का
तो हे देव !
वह सामने आए
अगर मेरे हिस्से की सांसें चुक चली हों
तो मुझे बतलाए
इस असार संसार में
एक मेरा वजूद क्या होगा भला ?
मुझे समा ले उस अथाह में
स्वीकार करे मुझे
जैसी हूं जिस हाल में हूं उसी रूप में…

मन कह्ता है ये आहटें
नवजीवन की हैं 
जैसे पत्त्झड के पीछे से झांकता है वसंत
रंगों से भरा,जीवन से भरा……
शायद आने वाला हो कोई
खुशनुमा पल
और दे रहा हो अभी से मेरे द्वार पर
नरम हाथों की दस्तक





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