Thursday 31 July 2014

कुछ मैं भी अपनी बात कहूं

बरसात के दिन हैं
उमडते मेघ आये कहीं से
हवा उन्हें ले के आई
उतरती सांझ के पांव जरा थम से गये
पलटकर जाती हुई किरणों को देखा
और हंस कर बोली
कुछ मैं भी अपनी बात कहूं

सब जानते हैं
सांझ क्या कहेगी
उसे बहुत भाते हैं मेघ
और उनके बरस कर जाते ही
उग आया इंद्रधनुष……
उसे झूलना अच्छा लगता है
इस सात रंग के झूले पर
जो इस पार से उस पार तक
ले के जाता है हरेक पेंग पर
कहेगी किरणों से
जरा थम जाओ
कहेगी मेघ से जरा बरस जाओ
कि धुल जाए धरती का कोना कोना
और उग आये आसमान में
वही झूला सात रंगों वाला…………॥



No comments:

Post a Comment