Thursday 31 July 2014

गंधराज

सामने
छोटी सी फुलवारी है
कई तरह के फूलों वाले पौधे
कई कई रंगों के
सदाबहार के फूल
सालों भर खिले रहने वाले

बेली सुगंध से भरी
जरूबेरा खूबसूरत अंदाज में खिलने वाला
गुलदाउदी सर्वगुणसंपन्ना………

सबसे अलग
सबसे ऊंचे कद का गंधराज है
झक्क सफेद
पंखुडियों की कई तहों में
सुंदरता समेटे हुए
रात के अंधेरे में पूरा पौधा तारों से भरा
प्रतीत होता
जगमगाता हुआ सा

चांदनी रातों में
फुलवारी में टहलना
और फूलों से बतियाना
सुखकर लगता……

जब भी कभी
मन कुछ उदास होता
गंधराज की बगल में मोढा डालकर
बैठ जाती
यूं प्रतीत होता जैसे
पूछ रहा हो हाल मेरा
छूना चाह रहा हो मेरे कंधे को
और पुचकारना हौले से

उसके अबोलेपन पर प्यार उमड आता
और खिन्नता भूलकर
मुस्कुरा देती मैं

यूं दोस्ती निभाते फूल गंधराज के
खुश रहना सिखलाते
मन में सुख का संचार करते
फूल गंधराज के……………



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