Tuesday 22 July 2014

मैं हूं आपका शहर

मैं हूं आपका शहर----------
आपकी जन्म भूमि
आपकी कर्म भूमि
आपके बचपन की किलकारियां सुनी है मैंने
आपको शनै: शनै: बढते देखा है
आपके स्कूल की रिपोर्ट देखकर
मम्मी पापा के साथ साथ खुश हुआ हूं
मैं बेहद खुशनसीब हूं
चहुं ओर से नदी पहाड घेरे हुये हैं मुझे
तीन तरफ़  शक्ति पीठ हैं मेरे
हरियाली पग पग पर
हजारों बाग थे पहले यहां
इसीलिये तो मेरा नाम हज़ारीबाग हुआ
वन सम्पदा अकूत
सुंदरता अद्भुत
जलावायु यहां की सुखद
न ज्यादा शीत न ज्यादा धूप
अपको भी अच्छा लगता हूं न मैं
यहां के वाशिंदे कहते हैं
कि हवा ही मीठी है हमारे शहर की
बस एक खटक सी है
एक गिला एक अरज
आपके फ़ेंके हुये कचरे
मेरे बदन पर घाव बनकर दुख देते हैं
आप बस उन्हें कहीं एक ठिकाना बना कर रखें
वर्षा रानी आ ही रही
मुझे नहला धुला कर साफ़ कर देगी
मैं कष्ट मुक्त हो जाऊंगा
फ़िर से खूबसूरत
फ़िर से स्वच्छ फ़िर से  मनहर
मैं हूं आपका प्यारा शहर--------------



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