Thursday 24 July 2014

बापू

एक आप ही हैं
जो मेरे , मेरे बच्चों के और
मेरे माता पिता के भी बापू हैं
बापू--अत्यधिक
आदर सम्मान का उपनाम
कुछ दिनों से हमारे
कम्प्यूटर स्क्रीन पर
सबसे पहले आपकी तस्वीर आने लगी है
आपके अनमोल वचनों के साथ

रोज पढती हूं
रोज कुछ न कुछ नया
समझ में आता है
रोज तनिक ज्यादा गहराई से
सोचने को विवश होती हूं
कितना बडा सच है
आपकी बातों में बापू
हमारे रोजगार में
जो सर्वेसर्वा हैं
हम उनका कितना एहसान मानते हैं।?
कभी किसी ऐसे दिन की
कभी किसी ऐसे पल की
ईश्वर न करे
कल्पना से भी रूह कांपती है
कि हम बैठे रहें
हमारी सेवा लेने कोई न आये
हम इंतजार करते रहें
हमें पूछने वाला कोई न आए

क्या होगा तब हमारा
सचमुच बापू
शाखा परिसर में आने वाला
हमसे हमारी सेवा चाहने वाला
ईश्वर स्वरूप ही है

आपकी तस्वीर
जितना ध्यान से देखती हूं
उतना ही नत मस्तक हो जाती हूं
कितनी सरलता
कितनी सौम्यता
कितनी निश्छल मुस्कान है
आपके चेहरे पर

काश हम भी
बन पाते आप जैसे सरल
निष्कपट निश्छल
हमारा भी मन हो पाता
आप सा सहज और पाक साफ…………




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