Tuesday 31 January 2012

सिखा दो


बहुत चल चुके अपने
कदमों को साधे
बचपन के जैसे
फुदकना सिखा दो…

कुछ गाते हुए
गुनगुनाते हुए
लेके हाथों में हाथ
हमको चलना सिखा दो…

पांव ऐसे धरा पर
रखें आज हम
बज उठे साज कोई
थिरकना सिखा दो…

कुछ भी करो
और कहीं ले चलो
आज खुद को ही खुद से
बिसरना सिखा दो…

उमंगों को मन की
तहों में सदा
एक सीपी के जैसे ही
रखना सिखा दो…

तुमको देखूं नजर भर
मगर दूर से
प्यार चातक सा मुझको
भी करना सिखा दो…

बहुत चल चुके
अपने ख्वाबो में सिमटे
हकीकत की धरती पे
चलना सिखा दो…


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