खत लिखना
पर खत में कुछ मत लिखना
कि तुम्हारे खत का
आना ही बहुत है
किसी मजमून की
कोई जरूरत ही नहीं…
लिखोगे भी तो क्या
और पढूंगी भी
तो क्या…
न तो तुम ही लिख पाओगे
वह सब कुछ जो कहने को
शेष हैं अभी
न समझ पाऊंगी
मैं ही
कि क्या कह रहे हो तुम…?
कहो तुम कुछ भी
अब तो सुनूंगी वही मैं
जो दिल को दे सके
पुरसुकून एहसास
अब और किसी बात की
अहमियत ही नहीं…
रहने भी दो न
वह सब कुछ अनकहे
कि जिनके कह देने से
हो जाती हो उनकी
तासीर ही कुछ कम…
जन्मों की चाहना
शब्दों मे बांधो मत
कि खोल पाऊंगी नहीं
खत भी तुम्हारा
डर तो होगा न खुलते ही
तुम्हारे स्पर्श की खुशबू
उड जाए न कहीं………॥
Uttam rachna,wah.
ReplyDeletebahut khub likha hai aapne. itna antarik kaise likh leti hai aap? mann ko chhoo gaya. bahut hi umda....
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