Thursday 31 July 2014

कुछ मैं भी अपनी बात कहूं

बरसात के दिन हैं
उमडते मेघ आये कहीं से
हवा उन्हें ले के आई
उतरती सांझ के पांव जरा थम से गये
पलटकर जाती हुई किरणों को देखा
और हंस कर बोली
कुछ मैं भी अपनी बात कहूं

सब जानते हैं
सांझ क्या कहेगी
उसे बहुत भाते हैं मेघ
और उनके बरस कर जाते ही
उग आया इंद्रधनुष……
उसे झूलना अच्छा लगता है
इस सात रंग के झूले पर
जो इस पार से उस पार तक
ले के जाता है हरेक पेंग पर
कहेगी किरणों से
जरा थम जाओ
कहेगी मेघ से जरा बरस जाओ
कि धुल जाए धरती का कोना कोना
और उग आये आसमान में
वही झूला सात रंगों वाला…………॥



गंधराज

सामने
छोटी सी फुलवारी है
कई तरह के फूलों वाले पौधे
कई कई रंगों के
सदाबहार के फूल
सालों भर खिले रहने वाले

बेली सुगंध से भरी
जरूबेरा खूबसूरत अंदाज में खिलने वाला
गुलदाउदी सर्वगुणसंपन्ना………

सबसे अलग
सबसे ऊंचे कद का गंधराज है
झक्क सफेद
पंखुडियों की कई तहों में
सुंदरता समेटे हुए
रात के अंधेरे में पूरा पौधा तारों से भरा
प्रतीत होता
जगमगाता हुआ सा

चांदनी रातों में
फुलवारी में टहलना
और फूलों से बतियाना
सुखकर लगता……

जब भी कभी
मन कुछ उदास होता
गंधराज की बगल में मोढा डालकर
बैठ जाती
यूं प्रतीत होता जैसे
पूछ रहा हो हाल मेरा
छूना चाह रहा हो मेरे कंधे को
और पुचकारना हौले से

उसके अबोलेपन पर प्यार उमड आता
और खिन्नता भूलकर
मुस्कुरा देती मैं

यूं दोस्ती निभाते फूल गंधराज के
खुश रहना सिखलाते
मन में सुख का संचार करते
फूल गंधराज के……………



चिट्ठी

किताब के पन्नों में
सहेज कर रखी हुई
एक चिट्ठी मिली
तपाक से ढेर से लम्हे कूद पडे
आंखों के सामने
अनगिनत यादें लेकर

छुटके के जन्म दिन पर आई थी
यह चिट्ठी
छुटके का कद अब मेरे से ऊंचा है
पर इस प्यार भरी
चिट्ठी का कद तो
हिमालय से भी ऊंचा है
सागर से भी गहरा है इसमें समाया हुआ स्नेह

यह पीहर की चिट्ठी है
दो बातें दादी की तरफ से
चार अम्मा की तरफ से
कुछ हिदायतें दीदी की तो
कुछ मशविरे बाबा के भी

आंखें तब भी धुंधलाई थीं पढते हुए
आज भी मन भारी हुआ

ऐसा क्या होता है शब्दों में गुंथा
पिरोया हुआ
जो हू हू लाकर रख देता है बीते वक्त को
नजर के सामने
कितनी नरमाई होती है इनकी छुअन में
कितने असरदार होते हैं
शब्द चिट्ठियों के

शब्दों के पार भी पिरोई होती है
संवेदना और अथाह आत्मीयता
देर तक थामे बैठी रही
चिट्ठी को
कि जैसे गया हो आशीष भरा हाथ
सर पर
प्यार भरा स्पर्श गालों पर

आंसू की शक्ल में…………………