मेरे अंगना
बहार आई
मुंडेर पर नन्ही गौरैया
आज पहली बार आई………
फ़ूलों में खुशबू है
अजब भीनी भीनी सी
भोर आज करके सिंगार आई
मन हुआ झूलूं मैं
मां के गले लगकर
पवन लिये किसकी पुकार आई
लगता है सब कुछ
जाने क्यूं बदला सा
खुशियां नजाकत से
आज मेरे द्वार आईं………
ये क्या हुआ मुझको
कोई बताए
सौ बार दर्पण मैं
छुप छुप निहार आई…………
तुम्हारी कविता अच्छी लग रही है . इतनी तेज लिखिती हो
ReplyDeleteसंजय
पुनश्च,
तुम उमंग megzine
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sanjay