Wednesday 9 May 2012

जिन्दगी एक सवाल करती है


जिन्दगी एक सवाल करती है
कि हमें उससे
प्यार है कि नहीं...
मन में जबाब ढूँढना है
कि उसका हर फैसला
हमें दिल से स्वीकार है कि नहीं..
  
वह कहती है कि
मैं तो एक राही हूँ
कभी धूप से भी गुजारूँगी
तो मुझसे गिला नहीं करना
कोई छाया तलाश कर लेना....
 
यह भी कहती है कि
कई रँग हैं उसके
कभी आँसू भी देगी आँखों को
तो कोई शिकवा नहीं करना
कोई कँधा तलाश कर लेना...
 
न कोई सागर न कोई पर्वत ही ,
न कोई जँगल हमें सुकून दे पाये
हमको तलाश करनी है
अपने भीतर ही
जिन्दगी के माय़ने सभी....

इतने रूपों में खड़ी है
हमारे आगे वह
नहीं पहचाने तो हम गुनहगार हुए
इतनी प्रखर चेतना
इतना विवेक मिला हमको
नहीं उपयोग करें तो
हम गुनहगार हुए...

जिन्दगी जब सवाल पूछेगी
ऐसा हो ना कि हम
न कुछ भी कह पाएँ
अभी तो इतना ही जानना है हमें
कि इस जबाब के लिए
हम तैयार हैं कि नहीं
  

                

1 comment:

  1. jindagi ke kayi roop ,kayi rang .aur een roop rangon kee behad samvedansheelta se ki gayi prastuti , achchhi rachna ,badhai .

    ReplyDelete