Wednesday 9 May 2012

मौसम का अनोखा अंदाज


है तो मौसम पत्तझड़ का
कई पेड़ ऐसे हैं जिनपर
एक भी पत्ता नहीं
पर कई ऐसे भी हैं जो
लहलहाए हुए हैं..
फूलों से ,मंजरियों से
इनपर कौन सा मौसम है..?
यह मौसम का अपना
अनोखा अंदाज है
खुशियां बांटने का....
बारी-बारी....

वे जो खाली खाली दीख रहे
साधु महात्मा की तरह
नए कोंपलों के इंतजार में
शोर नहीं मचाते...
चुपचाप जैसे ध्यान में मग्न हैं
उनपर चिड़ियों के घोंसले भी हैं
बया के अधिकतर ,
एक से बढकर एक खूबसूरत
कुछ पूरे,कुछ अधूरे भी
पत्तों में छुपाकर बनाए गए होंगे
पर अभी दीख रहे...
.
किताबों में पढी बात
आँखों के सामने हैं
कि...
बया आधा आधा कई
घोंसला बनाकर
अपनी दोस्त बया को दिखलाता है
उसे जो पसंद आ जाए उसे ही
दोनों मिलकर पूरा करते और
अपनी गृहस्थी शुरु करते हैं...
वाकई
अनोखी अदा बया की....
 
मेरे अहाते में है सागवान का
बड़ा सा पेड़.. ..
खूब सारे बड़े बड़े पत्तों से भरा
गर्मी और वर्षा के लिए
छतरी का काम करता है
घनी छाया और फूलों की अनवरत वारिश
नन्हे नन्हे फूल टुप टुप जब गिरते हैं
कई कई पत्तों को छूते हुए
उनसे विदा लेते हुए
नीचे आते हैं
झिर्र झिर्र की आवाज लगातार आती रहती है
शाम सबेरे के शांत वातावरण को
अपने स्निग्ध गुंजन से
गुंजायनमान रखती हैं
                
सामने एक आम का पेड़ है
अभी कल तक जैसे खाली खाली था
आज अचानक देखती हूँ
मंजरियों से लदा हुआ है
कब आईं इतनी मंजरियां
कब छाई इतनी हरियाली
ताज्जुब.. !

ये कपास के दो पेड़ हैं पिछवाडे में
एक बिल्कुल पत्रविहीन
दूसरा हरा भरा
एक ही जमीन एक ही हवा पानी
एक ही माहौल
सगे भी होंगे दोनों
पर प्रकृति का अपना ही अंदाज है

कब किसे क्या देगी
इसपर एकाधिकार है प्रकृति का
हजारों लाखों प्रकार के
फूल पत्ते रंग और सुगंध
तरह तरह के मौसम
पतझड़ और बहार
शिशिर हेमंत बसंत
शरद ग्रीष्म और बरखा..

ताप से जलती धरती को
शीतल फुहारों की सौगात
ठंढ से ठिठुरती हवा को
सुहानी धूप का वरदान
मौसम की आशिकाना
अदाओं का अनवरत एहसास
शब्दों से परे
वर्णन से परे
इसका अनोखा एवं अद्भुत अंदाज..........


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