Sunday 13 May 2012

जाकी जैसी भावना


सुबह नींद खुलते ही देखा
मोबाइल पर संदेश
रात के ही ,बच्चों के
हैप्पी मदर्स डे मम्मा…
मन खिल उठा
खुश रहो मेरे बच्चों
दिल से आवाज आई…

आज का दिन खास है
सबने अपने अपने ढंग से
याद किया होगा
सेलिब्रेट किया होगा

किसी ने परदेश गई मां के संदूक से
निकालकर पुरानी यादों को
फिर से जिया होगा
उसकी अंगुलियों के स्पर्श को
महसूस कर, पुराने वस्त्रों में
दुहराया होगा बचपन को
दिल ही दिल में…
और मूंद कर आंखें जब आवाज दी होगी
कहीं भी होगी मां
पलटकर देखा होगा उसने और
थपक दिया होगा गालों को उसी पल…

किसी ने मां की तस्वीर से
की होगी बातें
कि क्यों हो जाते हैं हम बडे
क्यों नहीं रह पाते उम्र भर बच्चों जैसे
आंचल की ओट तले
अलमस्त ,बेफ़िक्र…

किसी ने दिया होगा तोहफा कोई
यह सोचकर कि क्या दे सकता है कोई
एक मां को
जो बस देती ही रहती है जीवन भर
सांसों के साथ साथ सहारा संरक्षण प्यार
गढ देती है काया से लेकर
व्यक्तित्व तक को…

मां उम्र के किसी भी पडाव पर हो
अंतहीन प्यार लिए
सर पर आशीष भरा हाथ रखे
होती है…
उसके चरणों में झुककर पा सकता है आदमी
सारे सुख ऐश्वर्य
वह खुद चाहे कितने भी दुख सह ले
फ़ूट नहीं सकते बोल कटु
अपनी संतान की खातिर मुख से…

आज अपनी छवि देखते हुए
दीख जाती है मां की छवि आईने में
कल अपनी छवि निहारते हुए
देखेगी बिटिया मुझको इसी तरह
ममता स्नेह दुलार
एक मां के आंचल से होकर ऐसे ही
तय करता है वक्त का सफ़र…

किसी की बेटी हूं
किसी की मां भी हूं
एक औरत होने के नाते ,
एक जननी होने के नाते
मुख भर आशीष देने की चाह रखती हूं
कि फूले फले दुनिया की
हर मां की हर संतान………|


1 comment:

  1. santan aur ma ke najuk mamtamayi rishte ko bakhubi poori samvedanshilta ke sath abhivyakta kiya hai apne Shashi jee , khubsurat kavita .

    ReplyDelete