Wednesday 3 September 2014

ओ अमलतास

फूलों, फूल की लडियों से लदे फदे
ओ अमलतास के सुंदर पेड
निगाह हटती नहीं
तुम्हारे खूबसूरत रूप सिंगार से

किसी ने कहा
तुम्हारे फूल पीले फव्वारे जैसे हैं
किसी को कानों की बालियां
याद आईं
किसी को तुम्हारी नरमाई
रास आई
तो किसी ने कविता कहा तुम्हें

इस सुंदर संसार के रचेता ने
कवि की कल्पना के लिये
चित्रकार की कूची
और आखों में सुकून के लिए
रच तो दिया तुम्हें
अब खुद भी हैरान होगा
रौशनी की निखार से अभिभूत
तुम्हारी छटा देखकर
तुम्हारा अद्भुत सिंगार
अनोखा रूप अलंकार देखकर……………


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