Thursday 20 June 2013

कौन सा दीपक जलाऊं

एक दीपक द्वार पर
राहगीरों के लिए
एक घर में रख लिया
दर दीवारों के लिए

एक पूजा ताख पर
कि देव जागते रहें
एक है मुंडेर पर कि
रौशनी झरती रहे

एक रखा कूप पर
एक तुलसी सामने
एक आंगन बीच में
कि कहीं अंधेरा ना रहे

कौन सा दीपक जलाऊं
मन का  अंधियारा हरे
कम कभी रौशनी हो
उम्र भर जलता रहे……

बुझा पाए हवा
आंधियां बारिशें
निराशा ही कभी
इस लौ की रौशनी हरे……




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