Sunday 30 December 2012

साथ चलोगे न !


यह शारदीय धूप
शांत नील सरोवर
नर्म सफ़ेद रेत  का गलीचा....
हर तरफ हरियाली
पीले पीले फूलों से सजे
सरसों के खेत

पानी में तैरती छोटी छोटी नौकाएँ
कितना कहूँ कितना सुनाऊँ
यह सुख भरी
सुहानी भोर
रच बस गई जेहन में
उम्र भर के लिए ....

सबसे बढ़कर
सुकून भरा साथ तुम्हारा
और आँखों आँखों में
किया गया वादा
कि  निभाओगे
यह दोस्ती जीवन भर ....

मन में एक मिठास लिए
लौट आए हम
अब कहीं भी जायेंगे
ये अनमोल पल
अपने सहज सुखद एहसास के साथ
हाथ थामे चलेंगे
तुम भी साथ चलोगे न......
  

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