मुझे बेकरार करके
मेरा करार लेके
मेरी राह भी न देखी
मुझको पुकार करके…
जरा इन्तजार करते
तो क्या गुनाह होता…?
ढूंढा तुम्हीं ने मुझको
कहा था मुझसे एकदिन
मन ऐसे मिल गए फिर
पानी में जैसे चन्दन
साथ साथ चलते
तो क्या गुनाह होता ?
हम थे बहुत अकेले
जब तक न तुम मिले थे
भाते नहीं थे मेले
जब तक न तुम मिले थे
अब भूलने न कहते
तो क्या गुनाह होता ?
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