कौन आता है तुम्हारे
पीछे पीछे…
मुड के एक बार जरा
देख तो लो…
कौन देता है आवाज
तुम्हें शामो सहर
रुक के एक बार जरा
सुन तो लो…
क्या काम है यह भी पूछो
क्या नाम है यह भी पूछो
क्या वजह है
इस तरह चलने का
कैसा रिश्ता है जो
समझ नहीं आता
घडी भर कहीं ठहर के
जरा पूछ तो लो……
कोई नाता ही रहा होगा
किसी जमाने का
कोई कारण जरूर होगा साथ आने का
कोई बिछडा हुआ साथी होगा
स्नेही कोई या संगी होगा
तनिक ठहर के तुम्हीं
सोच तो लो…
कहीं तुमने ही आवाज देकर
बुलाया तो नहीं,
याद करो…
साथ चलने का वादा करके
भुलाया तो नहीं,
याद करो…
ऐसे मुख मोड के जाना
अच्छा नहीं
अनसुनी करके गुजर जाना
अच्छा नहीं
कट जाएगा सफर आसानी से
साथ आने दो…
जन्मों के फासले हों तो
अभी मिट जाने दो…
यूं ही कोई साथ भला आए क्यों
बेवजह नाम लेके बुलाए क्यों
पीछे पीछे जो चला आता है
दो घडी रुकके
साथ ले तो लो…।
No comment.
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