Saturday, 30 July 2011

तुम जब मिलना


शब्द नहीं हैं कहने को
जितनी बातें हैं
घुमड रही
मन के भीतर
उन सब बातों को
तेरे सम्मुख
जस का तस रख सकने को
तुम जब मिलना
ये होठ कांपते
कह सकें
और पलक बावरे
मुँदे रहें ,गर खुल सकें
तुम सुन लेना………
शब्दों  में ढ्ल पाए
जो जज्बात,
गर ढुलक गए, मोती बनकर
तुम चुन लेना
सब सुन लेना……

1 comment: