शब्द नहीं हैं कहने को
जितनी बातें हैं
घुमड रही
मन के भीतर
उन सब बातों को
तेरे सम्मुख
जस का तस रख सकने को…।
तुम जब मिलना
ये होठ कांपते
कह न सकें
और पलक बावरे
मुँदे रहें ,गर खुल न सकें
तुम सुन लेना………
शब्दों में ढ्ल न पाए
जो जज्बात,
गर ढुलक गए, मोती बनकर
तुम चुन लेना
सब सुन लेना……।
Sundar,antim do panktiyan,kamaal kii.
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