Friday 11 January 2013

अंत्याक्षरी


समय बिताने के लिए 
करना है कुछ काम 
शुरू करो अंत्याक्षरी 
लेकर हरि का नाम

याद आता है 

बचपन का अलमस्त जमाना 
और अंत्याक्षरी की मौज मस्ती 

शब्द के अंतिम वर्ण से शुरू नया शब्द ...
गीत के बोल ,
कविता की पंक्तियाँ
शेरो शायरी गजल कुछ भी ...
एक अनवरत मनोरंजन

सोचती हूँ 
यह अंदाज महज खेल ही नहीं
इससे अलग कुछ और भी है

दिवस की उम्र तो बस
आठ पहरों की होती है
सुरमई किरणें 
नील गगन के चप्पे चप्पे 
जीवन के रंग भरती 
रहती है....
प्रकृति हर रूप में 
हर वक्त जीवन के राग 
गुनगुनाती रहती है 
चलता रहता है 
यह सिलसिला... 

साँझ का सबेरे के साथ  
सुगंध का पवन के साथ 
अंधेरे का उजाले के साथ 

  
लहरों का समंदर के साथ  
धूप का छाँव के साथ
आँसू का मुस्कान के साथ 

धरा और क्षितिज के
बांहों के घेरे में 
खेलता रहता है कण कण
एक अंतहीन  अंत्याक्षरी ... 








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