आंखें मून्द के सुनना
तुम्हारा
मुझको
मेरी कविता को
एक अद्भुत एहसास से भर गया मुझे
मानों
पंच तत्व के इस शरीर का आकाश तत्व ही
भोर के गान की तरह
भर गया हो झंकार से
किरणों के म्रदुल गुन्जन और
पंछियों के कलरव से भरा भरा
पंखुडियों के खुलने की सरसराहट के
मधुर अंदाज से भर गया मुझे
मैंने महसूस किया अपनी ही कविता के
नरम स्पर्श को
शब्दों की मासूमियत और
स्वर के उतार चढाव को
सांसों की लय से एकाकार होते हुये
भीतर ही भीतर कुछ घुलने के
आभास से भर गया मुझे
तुम्हारा यूं आंखें मून्द कर
सुनना मुझको , मेरी कविता को……
Sunne kii kala....waah.
ReplyDeleteSunne kii kala....waah.
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