Sunday 9 November 2014

अन्न की नदी और फूल के पहाड

दूर तक हरियाये खेत हैं
जैसे कोई हरियाली नदी
लहराकर बह रही हो

पीले पीले फूलों से लदे पेड
इस तरह खडे हैं
मानों फूल के पहाड हों

अन्न की नदी और फूल के पहाड
ऐसा जान पडता है
मानों सुख सम्रृद्धि

खुले गगन तले बैठी सिंगार कर रही हो

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