Tuesday 10 June 2014

ऐ मन मेरे

ऐ मन मेरे
ले चल मुझको
यादों की छाया में
झिलमिल झिलमिल स्नेहिल यादें
यादों की छाया में

बीते कल के
पलट के पन्ने
देख रही हूं बीते लम्हे
छोटे छोटे उन लम्हों की
मन को छूने वाली बातें

बोझिल मन को थपकी देकर
हल्की करने वाली बातें
ऐ मन ले चल
मीठी मीठी बातों की छाया में

कोई अपना
नजर चुराके
देख रहा था चुपके चुपके
कोई अपना पलक झुकाके
बोल रहा था
कुछ रुक रुक के
अटक गया मन उन नजरों में
भटक गया मन उन पलकों में
ऐ मन ले चल
पलकों की उन
ठढी शीतल छाया में
ऐ मन मेरे
ले चल मुझको
यादों की छाया में……………॥


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