किसी की नज्म थी
लिखने वाले ने लिखा था
उम्र बीत रही
कोई ऐसा न मिला
जिसे बस याद करूं तो आ जाए
मुस्कान लबों पर
अपनी तरफ निहारने लगी मैं
दिल ने कहा
बहुत खुशनसीब हूं
हैं मेरी जिन्दगी की किताब में
कुछ पन्ने उस नाम के
जिन्हें पलट कर देखूं तो
खेल उठती है मुस्कान लबों पर
जिसे जब चाहे पुकार सकूं
जहां चाहे हाथ थामकर ले जाऊं
संग
बैठकर बोलूं बतियाऊं
फुर्सत
में
बस याद
भी करूं तो
आ जाती
है मुस्कान लबों पर
तन्हाईयां हों कि मेले हों
जमाने के
भींगती स्नेह की बारिश में रहती हूं
मिलती
है धूप
प्यार की भी हरदम
अनबूझ
नशे में खोई रहती हूं
दिल अपना खोलकर
रख देती हूं जिसके आगे
सुन सकती हूं जिसको ताउम्र मैं
है ऐसी परछाईं मेरी काया की
संग लिपट
के मुझसे
जो रहा
करती है
ऐसा चेहरा
जो दीख जाता है
आईना जब भी निहार लेती हूं
बहुत खुशनसीब हूं मैं कि नज्म मेरी
उम्र के रस्ते से
खुशियों के फूल चुनती है
रोपती है कुछ बिरवे हरेक पडाव पर
हंसी बिखेरती चलती है
हां खुशनसीब हूं मैं
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