Friday 25 October 2013

बचपन की तस्वीर

शरद काल की गुनगुनी धूप
आंगन में कुश की चटाई डाल कर
आलथी पालथी लगाए बैठी हूं
पास ही तुलसी चबूतरा है
अगरू धूप की भीनी महक
आ रही…
सबेरे अम्मा ने पूजी होगी तुलसी
और परिक्रमा भी की होगी
दाएं हाथ मोगरे की लता है
फूली फूली
झूमर की तरह झूल रहे फूल
सुकून भरा माहौल
इत्मिनान के पल …
रसोई से मेथी की गंध आ रही
भूख जगा रही
शहरों में कहां मिलती ऐसी मनहर फिजा
ऐसे मनमोहक वातावरण…
फ़ुरसत से गांव आई हूं
अम्मा के बक्से से पुरानी तस्वीरों के
एलबम निकाल लाई हूं
एक ब एक बचपन आ गया सामने

तब रंगीन नहीं होती थी तस्वीरें
लेकिन अब की तस्वीरों से ज्यादा जीवंत
ज्यादा सुंदर हैं
पहली तस्वीर -खुद छोटी सी मैं
दोनों हाथों से नन्ही सी गुडिया थामे बैठी हूं
तब कौन से भाव थे चेहरे पर
अब भी हू ब हू पढ सकती हूं

इस तस्वीर में पिता की उंगली थामे खडी हूं
सामने तिरंगा लहरा रहा
पिताजी उधर और मैं पिता को देख रही हूं
कितने कितने सवाल हैं मेरी आंखों में
बिल्कुल वैसे ही
जैसे मेरे बच्चों की आंखों में होते हैं
कुछ नया देखकर……
यहां- मां मेरी चोटी गूंथ रही
लम्बी सी चोटी
जब तक मां ने संवारे मेरे केश
मेरी चोटी लम्बी बनती रही
अब न तो फ़ुरसत रहती है
न इतने लम्बे घने केश ही हैं

यह- मैं झूला झूल रही
थोडी दूरी पर हाथ में हुक्का लिए बैठी है
मेरी अम्मां की अम्मां
कभी भूल नहीं सकती उनसे मिला प्यार दुलार
और सीख भरी कहानियां
अनमोल अमानत की तरह
संजोये हुए हूं मन के कोने में

यहां किताब लिए बैठी हूं
एक ही लालटेन के इर्द गिर्द
सभी भाई बहन
हम रोज ऐसे ही पढते थे
अब न तो ऐसे पढ सकते हैं बच्चे
न ही कल्पना ही कर सकते हैं

कई तस्वीरें हैं
कहीं बागीचे में हूं
कहीं तितलियों के संग
कहीं बुढिया कबड्डी खेलती
कहीं गुडियों के संग
एक तस्वीर पर जाकर निगाह अटक सी गई
यह हमारे कुनबे की अमिट निशानी
बहुत से लोग घर के
ध्यान से देखती हूं
कहां खो जाते हैं मीठे महकते रिश्तों को
संजो कर रखने वाले लोग
चलते चलते कब कहां बिछुड जाते हैं
कुछ पता नहीं चलता
तस्वीरों ने संभाल कर रखी हैं उन यादों को
जो हमने साथ जिया है
ये हमें लौटा ले जाती हैं उन पलों में
जो हमने साथ जिया है
इनमें खुशबू है बचपन की
इनमें खुशबू है घर आंगन की
कभी हंसाया कभी गुदगुदाया
कभी आंखों को छलकाया इन तस्वीरों ने
कह नहीं सकती
किसने सबसे ज्यादा लुभाया आज
गुनगुनी धूप ने
महकती हवा ने
मोगरे की लचकती डाल ने या
बचपन की तस्वीर ने……॥


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