बरसात
के दिन हैं
उमडते
मेघ आये कहीं से
हवा
उन्हें ले के आई
उतरती
सांझ के पांव जरा थम से गये
पलटकर
जाती हुई किरणों को देखा
और
हंस कर बोली
कुछ मैं
भी अपनी बात कहूं…
सब
जानते हैं
सांझ
क्या कहेगी
उसे
बहुत भाते हैं मेघ
और
उनके बरस कर जाते ही
उग
आया इंद्रधनुष……
उसे
झूलना अच्छा लगता है
इस
सात रंग के झूले पर
जो
इस पार से उस पार तक
ले
के जाता है हरेक पेंग पर
कहेगी
किरणों से
जरा
थम जाओ
कहेगी
मेघ से जरा बरस जाओ
कि
धुल जाए धरती का कोना कोना
और
उग आये आसमान में
वही
झूला सात रंगों वाला…………॥
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