गली में
छोटा सा लड़का
छोटा सा लड़का
कागज की रंग बिरंगी फिरकनियां
बांस की लंबी सी डंडी में
खोंसकर फेरी लगा रहा...
नन्हें नन्हें बच्चे उसे घेरे
चल रहे
मैंने आवाज दी
तो आकर द्वार पर खड़ा हो गया
एक फिरकनी हाथ में लेकर देखा
अभी अभी तो सर्र सर्र नाच रही
थी
अब क्या हुआ
फिरकनी वाला देख रहा था
बोल पड़ा.....
हवा की दिशा देखकर रखें...
सोचती हूं
यह कच्ची उम्र का बालक
कितनी बड़ी बात कह गया
कोमल कागज की बेजान फिरकनी भी
तभी नाचती है
जब हवा का रुख साथ दे
जब हवा का रुख साथ दे
और हम
विकसित विवेक के स्वामी
वक्त की धारा के विपरीत हाथ
पांव मारते
और भाग्य को दोष देने से नहीं
चूकते
नाहक अपनी ऊर्जा
अपनी शक्ति
अपना धैर्य दांव पर रखते हैं
यह जानकर भी कि
वक्त एक सा नहीं रहता
सदा बदलते रहना ही इसका धर्म
है
थोड़ा सा धैर्य
थोड़ी सी सहन शक्ति
और संतोष रखकर
हम वक्त
हम वक्त
के रुख का इंतजार कर लें
तो हमारे लक्ष्य की फिरकनी भी
नाचेगी ,
अद्भुत छ्टा बिखेरेगी........
Wah Bhabhi.bahut khoob!
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