यह धुंध
फिजाँ धुंधली
दिशाएँ धुआँ धुआँ
जैसे नरम लिहाफें ओढ़कर
मौसम खड़ा ....
ऐसे में तू आ
चल
हाथ पकड़
चल पड़ें कहीं
ना देखे हमें जमाना
ना हम देखें
बस नरम छुअन इस मौसम की
महसूस करें ...
न तू कुछ बोले
न मैं कुछ बोलूँ
न मैं कुछ बोलूँ
बस सुनें स्पर्श की भाषा
यह धुंध हमें सिखलाए
एक मौन प्रेम परिभाषा........
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